शुक्रवार, 22 अगस्त 2025

शुभंकर आगमन


अपनी उलझन का सघन वन,

सबके होते हुए भी पथ निर्जन ।

शून्य सम्मोहन वश जैसे बेबस,

बस काष्ठवत मन ढो रहा जीवन ।


सहसा सुना कहीं भारी कोलाहल ,

ढोल बजाता हुआ जन समूह मगन !

और उनके बीच रथारुढ़ बप्पा स्वयं,

कोटि सूर्य समान शुभंकर आगमन ।


जाने कितनी ही बार मेरा हुआ मन,

पिता की विशाल गोद में सिर रख ,

सो जाऊं निश्चिंत भूल कर सब द्वंद 

मिले श्री चरणों में शरण अवलंबन ।


इतनी दूर से भी देख, गए सब जान,

ध्यान रख मेरी सदा तुझ पर है नज़र !

करुणामयी दृष्टि ने हर लिए सब विघ्न,

टूटी तंद्रा, सजग चेतना, दृढ़ मनोबल ।


शुक्रवार, 15 अगस्त 2025

भारत का स्वाभिमान


भारत का उन्नत हो भाल,

करना है बस वही काम !

अपने बल पर जीतें संग्राम 

बाध्य करें हम युद्ध विराम !

रहें सीखते सब अविराम,

पीछे ना रहे एक भी ग्राम !

काम ही है अपना भगवान !

सब मिलकर दें इसे अंजाम !

कौशल ही बल है यह जान,

हर पथ पर चल सीना तान !

हम ही से भारत की पहचान !

हम ही भारत का स्वाभिमान !

 

बुधवार, 13 अगस्त 2025

झंडा ऊँचा रहे हमारा


बच्चों के नन्हे हाथों में तिरंगा

सच लगता है बहुत ही भला !

ये ही तो सदा लहराएंगे ऊँचा

अपने दम पर भारत का झंडा !


सिद्ध होगी तब सच्ची स्वतंत्रता

जब हिंदुस्तान का हर एक बच्चा

सङकों पर बेचता ना भटकेगा

गर्व से स्कूल में फहराएगा तिरंगा !